शिंकुला-पास पार कर पहली बार जांस्कर पहुंची गाड़ी
शिंकुला-पास पार कर पहली बार जांस्कर पहुंची गाड़ी

शिंकुला-पास पार कर पहली बार जांस्कर पहुंची गाड़ी
गाओं वालों ने जगह-जगह किया मनाली के तीन युवाओं का भव्य स्वागत
मनाली: लद्दाख की जांस्कर घाटी के हर गांवों में इन दिनों त्यौहार जैसा माहौल है। मनाली के तीन युवाओं ने शिंकुला दर्रा पार कर जहां सबसे पहले गाड़ी को जांस्कर के मुख्यालय पदुम पहुंचाने का रिकॉर्ड बनाया है वहीं इस दुर्गम घाटी के लोगों का कठिन समय भी समाप्त होने वाला है।
लद्दाख को यूटी बनाने के बाद यहां के लोगों को एक और अच्छी खबर सुनने को मिली है। मनाली से तीन लोग गाड़ी लेकर एक ही दिन में 16,600 फुट ऊंचा शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंचे हैं। इस खबर के बाद जहां सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मनाली के तीनों युवाओं को बधाई दी है वहीं जांस्कर के हर गाओं में युवाओं का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया जा रहा है।

मनाली से अंग्रेज़ी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सुरेश शर्मा, होटल व्यवसायी व ट्रेवल एजेंट प्रीतम चन्द और जय प्रकाश टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी लेकर मंगलवार सुबह 7 बजे मनाली से निकले थे और 3:30 बजे शिंकुला दर्रा पार कर के 4:15 बजे शिंकुला की दूसरी तरफ लखांग पहुंचे। कच्ची, खड़ी, पथरीली और तंग सड़क पार करने के बाद उन्हें कई मर्तवा गहरी और तेज़ बहाव वाली जांस्कर नदी को पार करना पड़ा। कई चुनौतियों को पार करने के बाद वे घाटी के पहले गांव करग्याख शाम 6 बजे पहुंचे जहां लोगों ने खतक पहना कर उनका स्वागत किया। इसके बाद तो वे जिस भी गांव पहुंचते, जांस्कर के हिमाचल से सड़क द्वारा पहली बार जुड़ता देख सभी खुशी से उनका स्वागत करते चले गए। लोगों ने गाड़ी और तीनों युवाओं के साथ अनगिनत सैल्फी भी ली।

स्थानीय लोगों और बीआरओ के अधिकारियों के अनुसार इस से पहले कुछ गाड़ियां लखांग तक तो आई थी लेकिन ये पहली बार है कि कोई गाड़ी लाहौल के दारचा से चलते हुए व शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंची हो।
प्रीतम, सुरेश और जय प्रकाश के अनुसार सड़क की हालत कुछ जगह बहुत ही खराब थी। उन्होंने बताया कि कुछ जगह रिपेयर करने के बाद जल्द ही ये सड़क आम गाड़ियों के लिए भी खुल जाएगी। उन्होंने आम जनता से अपील की कि जब तक बीआरओ और प्रशासन ग्रीन सिग्नल ना दे दे, तब तक शिंकुला से जांस्कर आने का जोखिम ना उठाएं।
उन्होंने बताया कि उन्हें शिंकुला के नज़दीक 70 आरसीसी के कमांडिंग ऑफिसर दीपक विष्ट मिले जिहोंने आगे जाने की हिम्मत बंधाई। उन्होंने बताया कि गाड़ी को जांस्कर नदी में घुसाकर कई बार पार तो पहुंचाया लेकिन लखांग के आगे बीच नदी में तेज़ बहाव और बड़े बड़े पत्थरों से पार जा पाना नामुमकिन था। ऐसे में बीआरओ की 126 आरसीसी के जेई केशव कटारिया ने कड़कती ठंड में भी लेवर और मशीन के साथ ओवरटाइम करते हुए भी उनकी गाड़ी के लिए बीच नदी से देर शाम तक रास्ता बना डाला। मंगलवार को ये सब पुरने गांव में मेहमान बन कर रहे जबकि बुधवार को फुगतल गोम्पा में आशीर्वाद लेने के बाद पदुम के विख्यात तुंदुप अंगदूस के मेहमान बने। उन्होंने बताया कि जांगला गांव में जांस्कर के राजा रिगजिन दावा और रानी टशी लंगजोम ने भी अपने घर पर तीनों का जोरदार स्वागत किया।
जांस्कर के लोगों को खरीदारी और हर ज़रूरी काम के लिए पूरे दिन के सफर के बाद करगिल या फिर दो दिन के सफर के बाद लेह आना पड़ता है। अधिकतर लोग गाड़ी और घोड़ों की मदद से सामान हिमाचल से लाते हैं।जांस्कर के अधिकतर बच्चे भी हिमाचल में पढ़ाई करते हैं। इस सड़क के दुरुस्त हो जाने के बाद अब लोग कुछ ही घंटों में लाहौल या मनाली पहुंच पाएंगे।
बीआरओ कई वर्षों से मनाली होते हुए कारगिल सहित लदाख के बॉर्डर पर स्थित इलाकों तक जल्दी, सुरक्षित और आसानी से रसद पहुंचाने के लिए शिंकुला व जांस्कर होते हुए सड़क बना रहा है। ये सड़क आगे चलकर लेह और करगिल के बीच नीमू में जाकर मिलेगी। इस सड़क से जांस्कर के कई दूर दराज के गांव भी जुड़ रहे हैं।
38 बॉर्डर रॉड टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि तीनों युवाओं ने गाड़ी से शिंकुला से जांस्कर पहुंच कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। उन्होंने बताया कि दारचा शिंकुला सड़क को चौड़ा व पक्का करने का काम युद्धस्तर पर चला हुआ है।
जांस्कर स्थित बीआरओ की 126 आरसीसी के सेकंड कमांडिंग ऑफिसर आशीष रंजन ने कहा कि वे इन युवाओं से मिले और उन्हें इस सड़क मार्ग को सर्वप्रथम पार करने का गौरव प्राप्त करने के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि पदुम-शिंकुला सड़क पर कई स्टेज में जगह जगह काम चलाया जा रहा है।
इस अवसर पर हिमाचल सरकार में कृषि मंत्री डॉक्टर राम लाल मारकंडा जो कि लाहौल से संबंध रखते हैं ने भी तीनों युवाओं को बधाई दी।